The story of an unexpected helper to come in the life of great mathematician Bhaskaracharya.
भास्कराचार्य के गणित-प्रधान जीवन में अनपेक्षित ढंग से सहायिका बन के आने वाली उनकी धर्मपत्नी की कहानी
The thirst for truth and the efforts of the subconscious are both not visible to others. But their pain is severe and effect substantial. And when the time comes... these become unstoppable.
सत्य की प्यास और अन्तर्मन के प्रयास - ये दोनों ही दुनिया को अक्सर दिखाई नहीं पड़ते। लेकिन इनकी पीड़ा गहरी होती है और चोट घातक। और जब समय आता है... फिर रुकने वाले रुकते हैं कहाँ!
जब प्रतिस्पर्धा योगी के रूप और उसके निश्चय के बीच हो, तो विजयी कौन होगा?
This is pure love in the form of words! Pure, unconditional, selfless, all-giving love.
आइये कल्पना के पंखों पर सवार हो कर मंगल की सैर कर लें। एक विज्ञान-कथा। मंगल ग्रह पर समृद्धि अपनी चरमावस्था पर थी... वैज्ञानिक अपने प्रयोगों में मग्न था...
The same old story - desires are not fulfilled in this world and all that blah blah. Read it for perhaps gaining some new insight into this age old wisdom.
बाँध हमने भी अपना सामान है लिया... बस ये समझ लो की अब गए तब गए! आइए ग़म को छूकर महसूस करें।
आज से फिर नए सफ़र में आरज़ू की रेल चली... ऊर्जा से ओत-प्रोत, उत्साह से सराबोर एक कविता प्रस्तुत है! ...देख कर मुझको ऐ साक़ी जाम क्यों शरमा गया आह इस पे भी मेरा नशा मेरा नशा है छा गया!
कितने जन्मों का स़वाब अब रंग लाया है, यकीन नहीं होता कि आपने हमें अपनाया है! अत्यधिक मिठास से भरी इस कविता से आप भी मुँह मीठा कीजिये!
If you think backwards in time you may make some sense out of this non-story. I haven't been able to... nEVER!
A humble attempt at explaining the relativity of physics and the physics of relativity, with special treatment to vector analysis. Some knowledge of calculus is required.
मत पूछो हम कहाँ कहाँ और कौन सी बाज़ी हारे हैं... पर जीत के लाये हम देखो दुनिया के आँसू सारे हैं! A power-packed outburst.
जो फिज़ूल ही बरसों-बरस नाचा किया, वो मोर नहीं नो-मोर था! बदहाली और बदगुमानी का दौर निकल जाने के बाद दिल से निकले कुछ ख़याल, मुलाएज़ा फरमाइये.
सब कुछ की चाह में है सब कुछ छोड़ दिया... अब फिर से सब कुछ के तलबगार बने बैठे हैं! एक कविता, एक जद्दोजहद!