Oct. 17, 2004
लेखक - manisar
उदासी को भी अगर जी भर के जिएँ तो वह भी एक किस्म का सुक़ून दे जाती है!
यह कितना सच है पता नहीं लेकिन कभी कभी उदासी के दौर में भी रचनात्मकता अपना काम कर जाती है।
अगर ऐसा हो जाए तो हम कहेंगे कि हमने बनियों को भी मात कर दिया - उदासी से भी कुछ ले कर ही वापस आए, देकर नहीं!
रचना कालखंड - 2003-04
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चंद बिखरे मोती
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