Presenting some random pearls in the form of poetry...
"वो लगन लगी, वो अगन जगी फिर मज़ा आ गया जीने में"
मेरी इब्तिदा नहीं, कोई इंतहाँ नहीं, पैदा अभी हुआ, अभी मौत आ गयी... हदों-वध पीर कदी-कदी बेइंतहाँ खुशी दी वजह बन जांदी ए!
This is pure love in the form of words! Pure, unconditional, selfless, all-giving love.
बाँध हमने भी अपना सामान है लिया... बस ये समझ लो की अब गए तब गए! आइए ग़म को छूकर महसूस करें।
आज से फिर नए सफ़र में आरज़ू की रेल चली... ऊर्जा से ओत-प्रोत, उत्साह से सराबोर एक कविता प्रस्तुत है! ...देख कर मुझको ऐ साक़ी जाम क्यों शरमा गया आह इस पे भी मेरा नशा मेरा नशा है छा गया!
कितने जन्मों का स़वाब अब रंग लाया है, यकीन नहीं होता कि आपने हमें अपनाया है! अत्यधिक मिठास से भरी इस कविता से आप भी मुँह मीठा कीजिये!
मत पूछो हम कहाँ कहाँ और कौन सी बाज़ी हारे हैं... पर जीत के लाये हम देखो दुनिया के आँसू सारे हैं! A power-packed outburst.
जो फिज़ूल ही बरसों-बरस नाचा किया, वो मोर नहीं नो-मोर था! बदहाली और बदगुमानी का दौर निकल जाने के बाद दिल से निकले कुछ ख़याल, मुलाएज़ा फरमाइये.
सब कुछ की चाह में है सब कुछ छोड़ दिया... अब फिर से सब कुछ के तलबगार बने बैठे हैं! एक कविता, एक जद्दोजहद!