धन्यवाद बंगाल! तुम्हारा बलिदान स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
थोड़ा ठहरें, सोचें, और इस 'धार्मिक भावनाओं की ठेस' वाले नर्क से बाहर निकलें। संसार सुंदर है, और आप और भी ज़्यादा। थोड़ा ऊपर उठें और दूर तक देखें।
The same old story - desires are not fulfilled in this world and all that blah blah. Read it for perhaps gaining some new insight into this age old wisdom.
कई बार भावावेश में हम अपने अहंकार और अपनी मूर्खता को अनदेखा कर जाते हैं। थोड़ा सा विचार कर के हम इस से बच सकते हैं।
Let's face it - there is so much pain in the world. Along with pleasure of course, but I've no problem with the latter! Why, for God's sake, why?