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धन्यवाद बंगाल! तुम्हारा बलिदान स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
थोड़ा ठहरें, सोचें, और इस 'धार्मिक भावनाओं की ठेस' वाले नर्क से बाहर निकलें। संसार सुंदर है, और आप और भी ज़्यादा। थोड़ा ऊपर उठें और दूर तक देखें।
कई बार भावावेश में हम अपने अहंकार और अपनी मूर्खता को अनदेखा कर जाते हैं। थोड़ा सा विचार कर के हम इस से बच सकते हैं।